मूमल बनकर ता-उम्र इन्तज़ार करूँ
वस्ल क्या है, जानती हूँ
नूरी बनकर न्याज़ करूँ
हस्ती क्या है, जानती हूँ
लैला बनकर, गहने शोलो में डालूँ
क्या चाहती हूँ, जानती हूँ
‘मारुई’ बनकर ‘उमर’ के आगे अधीनता मान लूँ
निर्बल बिल्कुल नहीं हूँ, जानती हूँ
ख़ुद को पहचानकर, सच कहती हूँ
मैं प्यार करना जानती हूँ
अना के तख़्त से उतर आओ प्यारे
पास आओ, तुम पास आओ
हाथ में हाथ देकर, जीवन पथ पार करें
क़दम-क़दम आज़ाद उठाएँ
अपने दाने आप चुगकर
पंछियों की तरह प्यार करें!
विषय सूची
- प्रस्तावना
- कविता चीख़ तो सकती है
- आईने के सामने एक थका हुआ सच
- अपनी बेटी के नाम
- सफ़र
- ख़ामोशी का शोर
- एक पल का मातम
- सच की तलाश में
- लम्हे की परवाज़
- एक थका हुआ सच
- सपने से सच तक
- तन्हाई का बोझ
- समंदर का दूसरा किनारा
- जज़्बात का क़त्ल
- शोकेस में पड़ा खिलौना
- रिश्ते क्या हैं, जानती हूँ
- सहारे के बिना
- तख़लीक़ की लौ
- काश मैं समझदार न बनूँ
- मन के अक्स
- उड़ान से पहले
- शराफ़त के पुल
- एक अजीब बात
- नया समाज
- प्रीत की रीत
- बेरंग तस्वीर
- प्यार की सरहदें
- मुहब्बतों के फ़ासले
- विश्वासघात
- आत्मकथा
- निरर्थक खिलौने
- शरीयत बिल
- धरती के दिल के दाग़
- अमर गीत
- मशीनी इन्सान
- बर्दाश्त
- तुम्हारी याद
- अन्तहीन सफ़र का सिलसिला
- मुहब्बत की मंज़िल
- ज़ात का अंश
- अजनबी औरत
- खोटे बाट
- चादर
- एक माँ की मौत
- नज़्म मुझे लिखती है
- बीस सालों की डुबकी
- जख़्मी वक़्त
- सरकश वक़्त
- झुनझुना
- ममता की ललकार
- क्षण भर का डर
- यह सोचा भी न था
- चाँद की तमन्ना
- झूठा आईना
- इन्तहा
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- क़ीमे से बनता है चाग़ी का पहाड़
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- सिसकी, ठहाका और नज़्म
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लेखक की कृतियाँ
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- अनूदित कहानी
- पुस्तक समीक्षा
- बात-चीत
- ग़ज़ल
-
- अब ख़ुशी की हदों के पार हूँ मैं
- उस शिकारी से ये पूछो
- चढ़ा था जो सूरज
- ज़िंदगी एक आह होती है
- ठहराव ज़िन्दगी में दुबारा नहीं मिला
- बंजर ज़मीं
- बहता रहा जो दर्द का सैलाब था न कम
- बहारों का आया है मौसम सुहाना
- भटके हैं तेरी याद में जाने कहाँ कहाँ
- या बहारों का ही ये मौसम नहीं
- यूँ उसकी बेवफाई का मुझको गिला न था
- वक्त की गहराइयों से
- वो हवा शोख पत्ते उड़ा ले गई
- वो ही चला मिटाने नामो-निशां हमारा
- ज़माने से रिश्ता बनाकर तो देखो
- अनूदित कविता
- पुस्तक चर्चा
- बाल साहित्य कविता
- विडियो
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- बहता रहा जो दर्द का सैलाब था न कम
- बहारों का आया है मौसम सुहाना
- भटके हैं तेरी याद में जाने कहाँ कहाँ
- या बहारों का ही ये मौसम नहीं
- यूँ उसकी बेवफाई का मुझको गिला न था
- वक्त की गहराइयों से
- वो हवा शोख पत्ते उड़ा ले गई
- वो ही चला मिटाने नामो-निशां हमारा
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