एक थका हुआ सच

मूमल बनकर ता-उम्र इन्तज़ार करूँ 
वस्ल क्या है, जानती हूँ 
नूरी बनकर न्याज़ करूँ 
हस्ती क्या है, जानती हूँ 
लैला बनकर, गहने शोलो में डालूँ 
क्या चाहती हूँ, जानती हूँ 
‘मारुई’ बनकर ‘उमर’ के आगे अधीनता मान लूँ 
निर्बल बिल्कुल नहीं हूँ, जानती हूँ 
ख़ुद को पहचानकर, सच कहती हूँ 
मैं प्यार करना जानती हूँ 
अना के तख़्त से उतर आओ प्यारे 
पास आओ, तुम पास आओ 
हाथ में हाथ देकर, जीवन पथ पार करें 
क़दम-क़दम आज़ाद उठाएँ 
अपने दाने आप चुगकर 
पंछियों की तरह प्यार करें!     

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