विदेशी रक्षा-बन्धन

01-09-2024

विदेशी रक्षा-बन्धन

मधु शर्मा (अंक: 260, सितम्बर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

भाई-बहन के बीच होता जो अनूठा सा प्यार है, 
रक्षा-बन्धन भाई-बहन का मंगलमय त्योहार है। 
 
 ढेरों मिठाई व सिवय्याँ बहन बनाती है, 
 ख़ुशियों भरा दिन बड़े चाव से मनाती है। 
बेसब्री से पूरा बरस करे वह इसका इंतज़ार है, 
रक्षा-बन्धन भाई-बहन का मंगलमय त्योहार है। 
 
पानी-बिजली व गैस की वैसे कमी नहीं, 
रोटी-कपड़ा-मकान बिन यहाँ कोई नहीं, 
त्योहार मनाने के लिए परन्तु केवल रविवार है, 
रक्षा-बन्धन भाई-बहन का मंगलमय त्योहार है। 
 
दो-एक बार वर्ष में भाई के घर जाती है, 
भाभी के डर से आने-जाने से कतराती है, 
भावज को ख़ुश रखने वाली ननद समझदार है, 
रक्षा-बन्धन भाई-बहन का मंगलमय त्योहार है। 
 
गिले-शिकवे त्याग कर त्योहार मना लें, 
बहनें जा न सकें तो भाई को ही बुला लें, 
ऐसा पावन दिन वर्ष में आता एक ही तो बार है, 
रक्षा-बन्धन भाई-बहन का मंगलमय त्योहार है। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

किशोर साहित्य कहानी
कविता - क्षणिका
सजल
ग़ज़ल
कविता
चिन्तन
लघुकथा
हास्य-व्यंग्य कविता
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
कविता-मुक्तक
कविता - हाइकु
कहानी
नज़्म
किशोर साहित्य कविता
सांस्कृतिक कथा
पत्र
सम्पादकीय प्रतिक्रिया
एकांकी
स्मृति लेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में