कह रहे ग़म हैं

15-09-2024

कह रहे ग़म हैं

मधु शर्मा (अंक: 261, सितम्बर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

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कह रहे ग़म हैं, 
आप से हम हैं। 
 
होंठ न बोलें, 
आँख तो नम हैं। 
 
रात के साये, 
पहने कफ़न हैं। 
 
बाप के हाथों, 
बच्चे दफ़न हैं। 
 
हादसे ज़्यादा, 
आदमी कम हैं। 
 
हाथ धो कर भी, 
ख़ून से सन हैं। 

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