हद करते हो

15-08-2024

हद करते हो

मधु शर्मा (अंक: 259, अगस्त द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

खोल दी बात राज़ की, हद करते हो, 
जो थी कल ही रात की, हद करते हो। 
 
चुप्पी हमारी पे आसमाँ सर पे उठाना, 
ख़ामोशी पर नाराज़गी? हद करते हो। 
 
करके वादा भूलना पुरानी आदत सही, 
और इसे मानना सादगी? हद करते हो। 
 
ख़ैरात के नाम पर जेबें ख़ुद की भरना, 
तो यह कमाई आपकी? हद करते हो। 
 
लेकर धर्म की आड़ दंगे-फ़साद करना, 
तीर्थ-स्थानों में आवारगी? हद करते हो। 
 
तारे तोड़ लाऊँगा, मरके भी उसे चाहूँगा, 
मर्दानगी भी दीवानगी भी? हद करते हो। 

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