दोषारोपण

01-09-2024

दोषारोपण

मधु शर्मा (अंक: 260, सितम्बर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

 “अपनी सादगी के कारण मैंने अपनी पूरी आयु हर आये-गये के हाथों बेवुक़ूफ़ बनते हुए काट दी . . . और यह सारा दोष माँ का था। काश उसने पढ़ाई-लिखाई और घरेलू कामकाज में निपुण बनाने के साथ-साथ बचपन ही से मुझे दुनियादारी भी सिखाई होती . . .”

“मम्मी, आप अपने दुःखों की वजह नानी के सिर मढ़कर बहुत बड़ी भूल कर रही हैं। ज़रा सोचिए कि बीस की उम्र पार कर लेने के बाद भी हम तीनों बहनों को भी तो लोग उल्लू बनाकर चलते बनते हैं . . . यदि हम भी इसे अपनी सादगी मानकर इसके लिए आप को ही दोषी ठहराने लग जायें तो?”

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