एक थका हुआ सच

एक थका हुआ सच  (रचनाकार - देवी नागरानी)

(अनुवादक: देवी नागरानी )
क्षण भर का डर 

क्या वक़्त की सबसे छोटी इकाई 
फ़क़त एक पल है! 
नज़्म के फ़ोकस में पकड़ा जा सकता है 
आँखें झपकने से भी पहले 
आँसुओं की तरह, पलकों में ही 
कहीं अटक कर रह गया 
किसी का रूमाल! 
ख़ुद में उसे समा सकता है 
उँगलियों के पोरों में 
तड़पते उस दुख को 
कौन लफ़्जों की उड़ान दे सकता है? 
अधूरे बालक की तरह मेरे जिस्म से नाता तोड़कर 
पल छिन में कहाँ गुम हो गया 
उसे सोचने के लिये यादें बुनने का हुनर 
कौन सिखा सकता है? 
वह दुख जिसे 
कहानी, नज़्म या कोई भी तख़्लीक 
अपने अन्दर समा न सकी 
खलाओं में रह गए उस दुख को 
किसकी कोख पनाह दे सकती थी? 

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