एक थका हुआ सच

एक थका हुआ सच  (रचनाकार - देवी नागरानी)

(अनुवादक: देवी नागरानी )
ममता की ललकार 

हर किसी के दर्द अपने लगते हैं 
मेरी रग-रग का मंथन कर देते हैं 
किसी भी दिल पर हो दुखों की बरसात 
नयन मेरे झरने बनकर बहते हैं 
बच्चों के मुरझाये चेहरे और उनकी सिसकियाँ 
मेरी ममता को ललकारती रहती हैं। 

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