क्या है अनिश्चित, रहस्यमय वज़न?
जिसमें है अब भी आकर्षण
दूसरे दिन से मेरे अभिशप्त दुश्मन
सहस्र वर्षों के तुल्य वह दिन
जब तुमने किया सीमाओं का अतिक्रमण
और साज़िशकर्ताओं को दिया प्रलोभन
एक संभावित राजा के विनाश का आमंत्रण
अँधेरी अफ़वाहों में पैतृक नैतिकता के अवगुण
चिंतित नैतिक पागलपन
निर्दयी असभ्य आचरण
मुझे करता सदा परेशान,
मानो मेरा हो गया हो मरण,
दमित भाग्य की उलझन
मेरे लिए अक्षम्य, अविस्मरण
कोई पतित पुरस्कार या उत्थान
भले देर से सही, मगर नहीं खोखलापन
पाँच अंगुल भूमि जैसे पाँच सिंहासन
निम्न लोगों के लिए सिर्फ़ मूर्खपन
उनके राजद्रोह का प्रसारण
और तुम्हारा पक्षपाती अवलोकन
मानव-महिमा का खंडन
पूर्वजों का गरिमा भंजन
उभारते तुम्हारे पूर्वाग्रहों के निशान।
योद्धाओं का दुर्ग होता है क्रोध-प्रदर्शन
प्रसन्न चेहरे पर उत्कीर्ण
भाव-भंगिमा के एकमात्र वसन
अश्रुल मोतियों का काव्य-हार
महाकाव्यिक आत्मविश्वास की महालहर
सांकेतिक समर,
फिर भी मृत्यु का नहीं कोई ठोर
ब्रह्मास्त्र के अंतिम तीर
चलना सिखाया था तुम्हें, हे वीर!
स्मृति-भ्रंश का संशोधन
क्षमा करना नहीं होता अविस्मरण
जब तक न हो तीर-भेदन,
तभी तक सुरक्षित जीवन
या शरारती अंगों का जादुई संरक्षण
मैं जीवित हूँ, जब तक हैं उनका जीवन
और शांतिपूर्ण पालन-पोषण
जब अधिकार होते हैं सत्य-कथन
तब क्यों प्रताड़न, क्यों शक्ति-दमन?
उठो और उठो,
जो कुछ भी तुमने बनाए श्मशान,
अब वे हैं सब ध्वनिहीन
और तुम्हारा अभिमान,
नहीं हो पाया कहीं स्थापन
और अभी भी अशालीन अपूर्ण।
विषय सूची
- पिता के रोम-रोम
- समय का शरणार्थी
- पुत्र से पिता
- जियो मानव, जियो!
- एक और फरवरी
- गगन-प्रकृति
- आहत विचार
- विश्वासघात
- मृत्यु के बाद की लंबी कविता
- प्यारी माँ
- मेरे पिता के लिए
- उदासी
- फिर से आना
- पितृहीन
- आत्महत्या के शोकगीत
- मैं पीने वाला
- प्रेमी
- पौ फटने से ठीक पहले
- सूर्य-जन्मा
- राजकुमार हेमलेट
- पिता होते हुए पुत्र तनाव में!
- अभिमान
- क्या पिता एक मज़ाक है?
- मेरा चंद्रिल प्रेम
- यात्रा
- पुनरागमन
- प्रतिशोध
- हठी
- पूर्णिमा की ज्योत्स्ना में भीगी कविता
- माता
- पत्नी
- कौन कहता है कि तुम भगवान हो?
- दुर्योधन का उत्तर
- मौन
- आत्म-हत्या
- दक्षिणी पवन
- दुर्योधन-पुत्र
- इतिहास का बोझ
- अंतर्द्वंद्व
- त्रिवेणी
- मैं यहाँ हूँ
- तुम और मैं
- कर्कश सुबह
- एकजुटता का अंश
- निष्कासन
- मदलाशी
- जब मैं तुमसे प्यार करता हूँ
- मृत्युंजय
- हत्या
- जब तुम चले जाओगे
- हम
- अकेले दिन
- साँसों में जन्म-स्थान
- प्रेम और प्रतिशोध
- आगमन
- स्थितप्रज्ञ
- अविस्मरणीय समय
- मैं तुमसे यही चाहता था
- शर-शैय्या
- रात और गृह-विरह
- अभी भी नरक
- मनु-पुत्र
- आज रात मैं लिखूँगा आँसुओं से कविता
- शिखर पतन
- प्यार की दासता
- शरद ऋतु में सितंबर
- अकेले रहना एक विकल्प
- पिताओं और पुत्रों की