यादें (मुकेश कुमार ऋषि वर्मा)
मुकेश कुमार ऋषि वर्माकभी हँसाती
कभी रुलाती
यादें!
कभी सताती
खट्टे-मीठे दिन याद दिलाती
यादें!
गुज़रे दिन
दु:ख या मौज में
पल-पल की फ़िल्म दिखाती
यादें!
ख़ुशी हो या
हो ग़म
आँसू बनकर छलक जाती
यादें!
ये नटखट
बड़ी सताती
तरह-तरह के रूप दिखाती
यादें!
कभी बचपन तो
कभी पचपन की सैर कराती
यादें!
ज़िंदगी के साथ-साथ चलती
यादें...
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