इष्ट का सहारा

15-04-2024

इष्ट का सहारा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा (अंक: 251, अप्रैल द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

तुम्हारे भोग जितने कम होंगे 
दुःख, कष्ट व परेशानियाँ उतनी ही कम होंगी।
अपने धर्म के रास्ते पर चलकर ही सफलता मिलती है 
किसान, छात्र, व्यापारी, नौकरीपेशा अन्य
सब अपना धर्म निभाते हैं 
तब ही फल व उपहार पाते हैं।
धर्म छोड़कर विकास दिखाई तो देगा 
परंतु वो विकास कब विनाश में 
परिवर्तित हो जायेगा पता ही नहीं चलेगा। 
कर्म व फल एक ही सिक्के के दो पहलू हैं 
एक दिन दोनों ही सामने आते हैं 
अच्छे कर्म—अच्छा फल 
आज नहीं तो निश्चित कल 
परंतु मिलता अवश्य है ।
इसीलिए जीवन लक्ष्य बनाये रखिये 
और नेक कर्म करते हुए आगे बढ़ते रहिए 
सफलता आस लगाये बैठी है . . .। 
सफलता से पहले तमाम भय आगे आएँगे 
जो कर्मवीर को डरायेंगे
डरना बिल्कुल नहीं 
अपने इष्ट का सहारा लेकर 
तुम मंज़िल पा जाओगे ।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
चिन्तन
काम की बात
किशोर साहित्य कविता
लघुकथा
बाल साहित्य कविता
वृत्तांत
ऐतिहासिक
कविता-मुक्तक
सांस्कृतिक आलेख
पुस्तक चर्चा
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में