कविता मेरी 

15-04-2025

कविता मेरी 

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा (अंक: 275, अप्रैल द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

कविता मेरी 
तू मेरे मन की मल्लिका 
मेरे मन में बहती 
नव सृजन रचती। 
 
कविता मेरी 
तू मेरे मन की साधना 
सर्वस्व तुझपर अर्पण 
दिखाती रहो सदा दर्पण। 
 
कविता मेरी 
तू मेरे मन का गुलशन 
पुष्प सी महको
कोयल सी चहको। 
 
कविता मेरी 
तू मेरे मन की निर्मल गंगा 
शब्द-शब्द पवित्र 
बहती रहो सर्वत्र। 

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