ये सच है 

01-11-2025

ये सच है 

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा (अंक: 287, नवम्बर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)


ये सच है कि एक दिन मैं न रहूँगा 
तुम ढूँढ़ोगे मुझे 
पर मैं कहीं नज़र न आऊँगा 
 
जब मेरी याद हद से ज़्यादा सताने लगे 
पढ़ लेना मेरी किताबें 
मैं तुमसे बातें करने लगूँगा 
 
अक्षर-अक्षर मेरी साँसों की गर्माहट 
तुमको एहसास कराएगी 
मैं सदियों से ज़िन्दा हूँ सदियों तक 
मेरी किताबें तुम्हें बतायेंगी 
 
चाहे जितने युग आएँ-जाएँ 
सूरज तब भी था और आगे भी रहेगा . . . 

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