कृपा तुम्हारी भगवन 

01-01-2025

कृपा तुम्हारी भगवन 

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा (अंक: 268, जनवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)


कृपा तुम्हारी भगवन 
जग में समा रही है 
उपवन में फूल खिला रही है। 
 
कृपा तुम्हारी भगवन 
रवि-चंद्र चमका रही है 
तारे टिमटिमा रही है। 
 
कृपा तुम्हारी भगवन 
हर जीव में साँस चला रही है 
वसुंधरा पर प्राण वायु बहा रही है। 
 
कृपा तुम्हारी भगवन 
सागर गहरा बहा रही है 
ऋतुओं का करतब दिखा रही है। 
 
कृपा तुम्हारी भगवन 
संपूर्ण ब्रह्मांड में वर्णन हो रही है 
भक्ति की शक्ति लुभा रही है। 
 
कृपा तुम्हारी भगवन 
ज्ञान की ज्योति जला रही है 
हृदय में उत्साह-उमंग भर रही है। 

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