प्रभु मेरे

01-05-2025

प्रभु मेरे

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा (अंक: 276, मई प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

प्रभु मेरे तुम्हीं सर्वस्व हो मेरे, 
तुम्हीं से प्यार करता हूँ। 
छवि तुम्हारी नयनों में रखता हूँ॥
 
प्रभु मेरे तुम्हीं सर्वस्व हो मेरे, 
पल-प्रतिपल दर्शनों को तरसता हूँ। 
मैं भटका प्राणी, भटकता ही रहता हूँ॥
 
प्रभु मेरे तुम्हीं सर्वस्व हो मेरे, 
बिन तुम्हारे जीवन में तनिक न चैन। 
हृदय जले तवा सा, नौ-नौ आँसू रोते नैन॥
 
प्रभु मेरे तुम्हीं सर्वस्व हो मेरे, 
दूर न मुझको करो, पड़ता हूँ पाँव। 
बिन तुम्हारे मुझे कहीं न मिले छाँव॥
 
प्रभु मेरे तुम्हीं सर्वस्व हो मेरे, 
दिखा दो राह सुपथ की नाथ। 
पकड़ लो उँगली, छोड़ो न साथ॥
 
प्रभु मेरे तुम्हीं सर्वस्व हो मेरे, 
नित लीन रहूँ तुममें ही प्रभु। 
बस इतनी सी विनय स्वीकार करो प्रभु॥

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