कैसा ये जीवन 

15-10-2025

कैसा ये जीवन 

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा (अंक: 286, अक्टूबर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

कैसा ये जीवन 
कि इसमें संतोष नहीं 
ईश्वर ने हाथ दिए 
हृदय दिया, पेट दिया 
दी सुंदर आँखें 
परन्तु हुज़ूर को संतोष कहाँ . . .? 
 
मैं सोचता हूँ 
मौत के बाद 
ये सम्पत्ति किस काम की 
मेरा कोई अधिकार नहीं रहेगा
इस भौतिक संपदा पर
कोई खोज-ख़बर नहीं . . . 
 
कैसा ये जीवन 
क़ुदरत का करिश्मा 
बस और और और . . . 
की चाहत में 
हम आत्मसुख खो बैठे हैं 
और मृग मरीचिका की तरह 
भटक-भटककर 
झूठी स्वप्न सामान ज़िन्दगी
जी कर कूच कर जाते हैं। 

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