तन्हाई 

01-06-2025

तन्हाई 

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा (अंक: 278, जून प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

ढलने लगी शाम
मैं हो गया गुमनाम 
किसको सुनाऊँ मन की 
ख़बर नहीं अब तन की 
नीरस दिन, गुमसुम रातें 
यादों की बस बातें 
तन्हाई बनी जीवन साथी 
आँखें नीर बरसातीं 
हृदय का उल्लास खो गया 
पहले वाला विश्वास खो गया 
राग बसंती सब चले गये 
गीत मनोहर सब भूल गये 
अपनी ही परछाईं डराती 
रह-रहकर रूह कँपाती 
हो गईं सब मुरादें पूरी
रही मन की प्यास अधूरी . . .

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
बाल साहित्य कविता
कविता - हाइकु
किशोर साहित्य कविता
चिन्तन
काम की बात
लघुकथा
यात्रा वृत्तांत
ऐतिहासिक
कविता-मुक्तक
सांस्कृतिक आलेख
पुस्तक चर्चा
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में