मेरा खेत

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा (अंक: 193, नवम्बर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

प्यारा-न्यारा मेरा खेत, 
हरा भरा सुंदर खेत।
 
उसमें fसलें लहरातीं,
मेरे मन को बहुत लुभातीं। 
 
पीली सरसों - महके सरसों, 
फूले अरहर - झूमे अरहर।  
चहुँ ओर है छाई बहार॥
 
बेहद लंबा हुआ बाजरा, 
उग आये मूली-गाजर।
लाल हुआ गोल टमाटर॥
 
प्यारा-न्यारा मेरा खेत, 
हरा भरा सुंदर खेत।
 
किसी से कम न गोभीआलू,
बहुत रुलाते प्याज़- रतालू। 
 
कलुआ बैंगन बन बैठा राजा,
कद्दू खा पीकर हो गया मोटा।
गन्ना कभी नहीं देता टोटा॥
 
बहुत महकता धनिया,
भाव खा रही मटर।
सुध-बुध हो गई ज्वार॥
 
सबको उगाता मेरा खेत।
हरा भरा सुंदर खेत॥

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