मुकेश कुमार ऋषि वर्मा–हाइकु 001

15-12-2024

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा–हाइकु 001

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा (अंक: 267, दिसंबर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 
1. 
उगता सूर्य 
मिटता जग तम 
हो उजियारा 
2. 
कच्ची कलियाँ 
फूल बनने को हैं 
फैलेगी ख़ुश्बू 
3. 
भोर हुई है 
चिड़ियां चहकीं हैं 
शुभ संदेश 
4.
ओस की बूँदें 
सरसों के पत्तों के 
ऊपर देखो 
5.
कैसे चमकीं
मोती सी बनकर 
ओस की बूँदें 
6.
यह वक़्त तो 
बड़े-बड़े ज़ख़्म भी 
भर देता है 
7.
सारे ग़म भी 
भुला देता है यह 
बेदर्दी वक़्त 
8.
वक़्त का मारा 
रोता है हर वक़्त 
वक़्त सताये
9.
वक़्त दिखाये 
जन्नत का महल 
वक़्त दे सुख 
10.
यह वक़्त तो 
बड़ा बलवान है 
बेरहम भी

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
कविता - हाइकु
किशोर साहित्य कविता
बाल साहित्य कविता
चिन्तन
काम की बात
लघुकथा
यात्रा वृत्तांत
ऐतिहासिक
कविता-मुक्तक
सांस्कृतिक आलेख
पुस्तक चर्चा
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में