तुलसी 

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा (अंक: 287, नवम्बर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

तुलसी आँगन में जहाँ। 
रोग-शोक न हों वहाँ॥
 
बनते सभी बिगड़े काम। 
तुलसी जीवंत देवी नाम॥
 
सेवन करते पाप मिटें। 
शारीरिक बँधन कटें॥
 
उस आँगन रहती ख़ुशहाली। 
तुलसी रहे सदा हरियाली॥
 
तुलसी को नित दो जलधार। 
निश्चित ही हो जाये उद्धार॥
 
तुलसी में औषधीय गुण अपार। 
तुलसी में दैवी शक्ति का सार॥

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