भोर सुनहरी 

15-02-2025

भोर सुनहरी 

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा (अंक: 271, फरवरी द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

भोर सुनहरी 
नित आती है 
आस नई जगा जाती है। 
 
सूरज की किरणें 
प्राण पुष्ट करती हैं 
सपने सुहाने बुनती हैं। 
 
चिड़ियों का कलरव
सिखलाता है 
गीत मधुर गाना आता है। 
 
संघर्षों से डरो न
तम पर वार करो 
दुःख भी सहन करो। 
 
राहों में काँटे 
तो फूल भी आएँगे 
हृदय प्रफुल्लित करेंगे। 

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