राखी 

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा (अंक: 259, अगस्त द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

सावन में आती राखी। 
बहिना का मन हर्षाती राखी॥
स्नेह के धागों के संग। 
भाई की कलाई पर खिले रंग॥
 
कच्चे धागे हैं अटूट। 
मन से राखी मिटाती खोट॥
हर सावन में आती राखी। 
भाई-बहिन का स्नेह राखी॥
 
भाई बहन की रक्षा की सौगंध खाता। 
ये रिश्ता सबसे पावन-पवित्र कहलाता॥
चांद-सितारों सी चमकी राखी। 
मनभावन क्षण लाती है राखी॥

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