हे प्रभु! 

01-01-2025

हे प्रभु! 

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा (अंक: 268, जनवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

हे प्रभु! दया करो 
मन मेरा भटका 
इसको सुधारो। 
 
जीवन निरर्थक लगता 
घोर अशांति छायी 
प्रभु तुम बिन सब 
सूना-सूना लगता। 
 
हे प्रभु! दया करो 
संसार में आसक्त हूँ 
डूबती नैया, पार करो। 
 
निष्काम प्रेमी बनूँ 
निर्भय सदा रहूँ 
सद्भाव हृदय में हो 
सदा आत्मा की सुनूँ 
 
हे प्रभु! दया करो 
निरभिमानी हो जाऊँ 
दयानिधि ऐसी दया करो। 

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