जल

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा (अंक: 218, दिसंबर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

जल बचाओ, ये है समय की पुकार। 
जल बरबादी, धरती पर अत्याचार॥
 
जल से जीवन चलता है। 
जल से पंकज दल खिलता है॥
जल से नदियाँ धारा बनती हैं। 
जल से कोमल कलियाँ खिलती हैं॥
 
जल बचाओ, क़ुदरत को राहत पहुँचाओ। 
जल स्वच्छ रखो और पर्यावरण बचाओ॥
 
जल से हवा बसंती चलती है। 
जल से खेतों में हरियाली आती है॥
जल से ऋतुओं की चाल बदलती है। 
जल से कोयल गीत मधुर गाती है॥
 
जल बचाओ, ये है समय की पुकार। 
जल बिन धरती पर मच जायेगा हाहाकार॥

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