ईश्वर दो ऐसा वरदान 

01-12-2023

ईश्वर दो ऐसा वरदान 

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा (अंक: 242, दिसंबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

जगमगाता दीप मैं बन सकूँ, 
हर हृदय में स्नेह मैं भर सकूँ। 
प्रीति की रोशनी हर किसी को दे सकूँ॥
ईश्वर दो ऐसा वरदान . . . 
 
जग से सारा तम मैं मिटा सकूँ, 
तेज़ आँधियों से मैं लड़ सकूँ। 
डूबते को किनारे तक पहुँचा सकूँ॥
ईश्वर दो ऐसा वरदान . . . 
 
जगहित गरल मैं पी सकूँ, 
दुनिया को अमृत मैं दे सकूँ। 
दुःखी हृदय में मैं उल्लास भर सकूँ॥
ईश्वर दो ऐसा वरदान . . . 
 
राष्ट्रहित हँसते-हँसते प्राण मैं तज सकूँ, 
दुश्मन से अंतिम साँस तक मैं लड़ सकूँ। 
भारत भू का सम्बल बन सकूँ॥
ईश्वर दो ऐसा वरदान . . . 

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