ऐ सनम मेरे

15-10-2022

ऐ सनम मेरे

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा (अंक: 215, अक्टूबर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

जब प्रातः बेला में चिड़ियाँ गाती हैं 
कलियाँ खिलकर फूल बन जाती हैं 
ऐ सनम मेरे तब याद तुम्हारी आती है। 
 
जब बारिश की बूँदें छम-छम गिरती हैं 
बिजलियाँ तड़-तड़ करके चमकती हैं 
ऐ सनम मेरे तब याद तुम्हारी आती है। 
 
ठंडी-ठंडी पवन हिलोरें लेती है 
ज़ुल्फ़ों की ख़ुश्बू का अहसास कराती है
खेतों में दूर तलक फैली हरियाली लहराती है
हृदय में मिलन की ख़ुशियाँ भर जाती हैं। 
 
जब मस्ती में नदियाँ उफान भर बहती हैं
प्रियतम सागर के आग़ोश में जा मिलती हैं 
ऐ सनम मेरे तब याद तुम्हारी आती है। 
 
जब चाँदनी रात में दिशा-दिशा बोल पड़ती है
छोटी-छोटी आहटें भी डरा नहीं जाती हैं 
ऐ सनम मेरे तब याद तुम्हारी आती है। 

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