नारी: मेरे चार मुक्तक
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा1.
नारी परिवार का शृंगार है,
सृष्टि का आधार है।
नारी ममता से भरा सागर-
अपमान हो तो अंगार है॥
2.
नारी अबला नहीं होती है,
वह तो बहुत सबला होती है।
नारी प्रेम की मूरत-
शौर्य का वरदान होती है॥
3.
नारी का अपमान न करो,
उसके रौद्र रूप से डरो।
नारी माँ, बहिन, बेटी, पत्नी-
नारी का हमेशा सम्मान करो॥
4.
धरती को स्वर्ग बनाना है,
हर घर-आँगन महकाना है।
नारी हो जाये पूर्ण निडर-
हमें ऐसा समाज बनाना है॥
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