सच्चा प्रेम
वीरेन्द्र बहादुर सिंह
राजीव ने न जाने कितनी बार उसके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा था, पर हर बार नियति ने बड़ी सख़्ती से उसके साथ विवाह करने से मना कर दिया था।
वह अक़्सर उसका मज़ाक़ उड़ाती थी कि एक ख़ूब गोरी अति सुंदर लड़की भला एक एकदम साँवले और अति साधारण लड़के से कैसे विवाह कर सकती है? पर उस दिन जब सब के सामने राजीव ने फिर से उसके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा तो वह उसके सच्चे प्यार को देख कर फफक-फफक कर रो पड़ी।
एक एसिड अटैक का शिकार बनी अपनी बाहरी सुंदरता खो चुकी लड़की को स्वीकार करने की हिम्मत तो केवल सच्चा प्यार करने वाला ही कर सकता है।
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