जादुई पक्षी
वीरेन्द्र बहादुर सिंह
सालों पहले एक घने जंगल में चंदन के पेड़ पर एक पक्षी रहता था। वह पक्षी चमत्कारिक था। उसकी बीट ज़मीन पर गिरते ही सोना बन जाती थी।
एक दिन की बात है। उस जंगल से एक शिकारी गुज़रा। उसकी नज़र उस सुनहरे पक्षी पर पड़ गई। कुछ देर तक वह उस पक्षी को देखता रहा। तभी पक्षी ने बीट की। देखते-ही-देखते वह बीट सोने की हो गई। शिकारी तो हैरान रह गया। यह कैसा पक्षी है? जितनी बार बीट करता है, उतनी बार वह सोना बन जाती है। ऐसा अनोखा पक्षी तो पूरी दुनिया में कहीं देखने को नहीं मिलेगा।
शिकारी ने सोचा कि यह पक्षी तो राजा को उपहार में देने योग्य है। इस पक्षी को पकड़ कर राजा को उपहार में दूँगा तो राजा उसे बहुत बड़ा इनाम देंगे।
वह चमत्कारी पक्षी जिस पेड़ पर बैठता था, उसी पेड़ के नीचे शिकारी ने जाल बिछा दिया। जाल पर कुछ दाने बिखेर दिए। उसे पूरा विश्वास था कि दाने देख कर पक्षी के मन में लालच आएगा। छुपा हुआ जाल उसे दिखाई नहीं देगा और वह उसमें फँस जाएगा। फिर वह उसे पकड़ कर राजा को भेंट कर देगा।
जाल बिछा कर वह एक पेड़ के पीछे छुप खड़ा हो गया। पक्षी ने नीचे बिखरे दाने देखे। शिकारी की उम्मीद के अनुसार वह पक्षी पेड़ से उतर कर दाने चुगने लगा। पक्षी को पता ही नहीं चला और वह शिकारी के जाल में फँस गया। पेड़ के पीछे छुपा शिकारी बाहर आया। उसने पक्षी को पकड़ कर पिंजरे में बंद कर दिया। शिकारी ख़ुशी से झूम उठा। उसे पूरी उम्मीद थी कि इस पक्षी के बदले राजा उसे अच्छा अच्छा इनाम देगा।
अगले दिन सुबह-सुबह वह राजा के महल पर पहुँच गया।
राजा से मिलने के लिए उसने दरवानों से कहा कि वह राजा के लिए जादुई पक्षी लाया है। दरबानों ने यह बात राजा को बताई तो राजा ने उसे तुरंत अंदर लाने का आदेश दिया।
राजा के सामने पहुँच कर शिकारी ने राजा को झुक कर प्रणाम किया। उसने पक्षी के चमत्कार के बारे म़ें बताते हुए कहा, “यह पक्षी जब भी बीट करता है, वह बीट तुरंत सोना बन जाती है। इसके अलावा यह पक्षी देखने में भी अद्भुत और अनुपम है। बोलता भी बहुत मीठा है।”
राजा इतना अनोखा, चमत्कारी पक्षी देख कर प्रसन्न हो गया। उसने तुरंत नौकरों को बुला कर कह, “इस अद्भुत पक्षी को सुंदर, नक़्क़ाशीदार सोने के पिंजरे में रखो। इसकी विशेष देखभाल करो। इसे बढ़िया दाने खिलाओ।”
उसी समय राजा का एक मंत्री वहाँ आ पहुँचा। राजा ने उसे उस चमत्कारी पक्षी के बारे में बता कर उसकी राय पूछी तो मंत्री ने पक्षी को ध्यान से देख कर कहा, “महाराज, शिकारी की बातों पर विश्वास करना उचित नहीं है। क्या आपको लगता है कि कोई पक्षी बीट करेगा और उसकी बीट सोना बन जाएगी? क्षमा करें महाराज, मुझे तो लगता है कि यह अवश्य कोई जादुई शक्तिवाला मायावी पक्षी है। आपके भले के लिए मेरी राय यही है कि ऐसे दुष्ट मायावी पक्षी को तुरंत छोड़ देना चाहिए।”
क्षण भर सोच कर राजा ने कहा, “मंत्रीजी, मुझे आपकी बात सही लग रही है। नौकरों को बुलाओ और पक्षी को तुरंत मुक्त कर दो और इस तरह का पक्षी महल में लाने के लिए सैनिकों को शिकारी को क़ैद करने का आदेश दो।”
नौकरों ने पक्षी को मुक्त कर दिया। पक्षी उड़ कर महल के मुख्य द्वार पर जा बैठा। वहाँं बैठ कर उसने राजा, मंत्री, सेवक सभी के सामने बीट की। देखते ही देखते वह बीट सोना बन गयी। इसके बाद वह चमत्कारी पक्षी उड़ गया। उड़ते हुए उसने कहा, “हम सब कितने मूर्ख हैं। पहले मैं मूर्ख बना, फिर शिकारी मूर्ख बना, उसके बाद मंत्री मूर्ख साबित हुआ और अंत में राजा भी मूर्ख सिद्ध हुआ।”
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