सूखा पेड़
वीरेन्द्र बहादुर सिंह
सूखे पेड़ को भी हरा-भरा होने की आस है
जैसे किसी प्यासे को पानी की प्यास है
दूसरे हरे-भरे वृक्ष को देख कर थोड़ा उदास है
मैं दूसरों को छाया दूँ सूरज का ऐसा प्रकाश है
सूखे पेड़ को हरा-भरा होने की आस है
खाद, बीज पानी की ज़रूरत इसे ख़ास है
फिर फूल आए या फल आए, इसमें भी वैसी ही मिठास है
सूखे पेड़ को भी हराभरा होने की आस है
जीवन है इसमें देखभाल की इसे तलाश है
देगा ऑक्सीजन यह इसमें भी साँस है
सूखे पेड़ को भी हराभरा होने की आश है
न करें इसका पतन करें इसका जतन इसमें भी सुहास है
है यह धरती का अनमोल रतन प्रकृति का इसमें वास है
सूखे पेड़ को भी हराभरा होने की आश है।
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