प्रेमिका जितनी सुंदर नहीं होती
और थोड़ा बूढ़ी भी होती है।
हमें जब समझ आ जाती है तो
हम कहते हैं
‘माँ तुम कुछ समझती नहीं हो।’
फिर माँ कुछ बोलती नहीं है।
चुपचाप घर के एक कोने में बैठ कर
अपने बाई से दर्द करते
पैर को दबाती रहती है।
बाद में एक दिन
माँ मर जाती है
और हम दोनों हाथ जोड़ कर
कह नहीं सकते
माँ मुझे माफ़ कर देना।
महिलाओं के दो स्तनों के बीच से गुज़रते राजमार्ग पर
भाग भाग कर एक बार
हाँफ जाते हैं तो इच्छा होती है
माँ की बूढ़ी परछाईं में बैठ कर आराम करने की
तब ख़्याल आता है कि
माँ तो मर गई है।
माँ प्रेमिका जितनी सुंदर नहीं होती।
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