नारी हूँ

01-02-2024

नारी हूँ

वीरेन्द्र बहादुर सिंह  (अंक: 246, फरवरी प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

सीता जैसी पवित्रता नहीं, 
है मात्र चंचल मन का आलाप, 
आप की राह में आतुर सामान्य नारी हूँ। 
 
शबरी जैसा धीरज नहीं, 
है मात्र ज़िम्मेदारी का बोझ, 
आप की राह में आतुर सामान्य नारी हूँ। 
 
राधा जैसी असीम प्रीत नहीं, 
है मात्र दुनियादारी का भार, 
आप की राह में आतुर सामान्य नारी हूँ। 
 
मीरा सम सहनशीलता नहीं, 
है मात्र चतुर समाज का भय, 
आप की राह में आतुर सामान्य नारी हूँ। 

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