मम्मी

वीरेन्द्र बहादुर सिंह  (अंक: 224, मार्च प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

किटी पार्टी जमी हुई थी। अचानक बच्चों की कहानियाँ कहने की बात चली तो मिसेज रावत ने कहा, “भई कहानी-वहानी तो हमें आती नहीं, फिर घर में दादा-दादी किस लिए हैं। इन लोगों से कुछ तो कराना ही चाहिए।”

यह सुन कर सभी महिलाएँ हँस पड़ीं। तभी पीछे से किसी ने कहा, “कितनी आउटडेटेड बात है यह। आज के ज़माने में भी कहीं कहानी कही जाती है।”

ज़्यादातर महिलाओं के अनुसार यह बेकार का काम था। इतने में शहर के जाने-माने और संपन्न घर की बहू सुस्मिता ने कहा, “साॅरी, पर एक मदर के रूप में हमें यह काम करना ही चाहिए।”

यह बात सुस्मिता ने कही थी, इसलिए सभी उसकी बात को ध्यान से सुनने लगीं। सुस्मिता ने आईपैड निकाल कर एक समाचार दिखाते हुए कहा, “पूरी दुनिया में एक नया ट्रेंड चल रहा है। मदर रोज़ाना रात को अपने छोटे बच्चों को एक कहानी सुनाती है, वह भी अपनी मातृभाषा में। साइकोलाॅजिस्ट का कहना है कि बच्चों के साथ इस तरह समय बिताने से आपकी बांडिंग बढ़ती है।”

थोड़ी देर पहले बोरिंग लगने वाली एक्टिविटी करने के लिए सभी तैयार हो गईं। श्रुति पहले से ही सुस्मिता से अभिभूत थी। घर जाते हुए रास्ते में ही उसने तय कर लिया था कि आज रात को वह बेटे ऋतुल को कहानी सुनाएगी। डिनर के बाद वह वह बेटे ऋतुल के बेडरूम में पहुँची। इस तरह अचानक रात को कमरे में मम्मी को देख कर ऋतुल हैरान रह गया। आते ही श्रुति ने कहा कि आज वह उसे एक कहानी सुनाएगी। ऋतुल यह सुन कर ख़ुश हो गया कि बचपन से ही रोने पर उसे चुप कराने के लिए मोबाइल पकड़ाने वाली मम्मी आज उसे कहानी सुनाने आई है। 

“एक बड़े फॉरेस्ट में एक टेरापीन एंड एक रैबिट बन्नी रहता था।” आगे की कहानी याद नहीं आई तो बात बदल दी कि एक ब्लैक कलर के रेवन को एक वेसल मिला। फिर . . . फिर उस वेसल में उसका फ़ेस दिखाई दिया और फिर श्रुति यह बात भी भूल गई। थोड़ी देर में शेर की कहानी में गधा आ गया और सियार की जगह हिरन को अंगूर खट्टे लगे। 

श्रुति को ख़ुद पर दया और ग़ुस्सा दोनों आया। पर हाँ, देर तक मोबाइल में सिर खपाने वाला ऋतुल उस रात अपनी मम्मी की गोद में सालों बाद गहरी नींद सो गया था। 

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