देर आये दुरुस्त आये 

01-09-2021

देर आये दुरुस्त आये 

मधु शर्मा (अंक: 188, सितम्बर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

हर रोज़ की तरह सुबह के नाश्ते के बाद अपनी दवाई लेने से पहले जब राजी ने पोर्च में झाँका तो उसे लैटर-बॉक्स में एक चिट्ठी दिखाई दी। दरवाज़ा खोल पत्र उठा कर वो वापिस रसोई में आ गई। उसे खोला तो देखा कि हॉस्पिटल वालों ने उसके कहे अनुसार उसकी अपॉइंटमेंट बदल कर, जो दिन उसे सही लगता था, दे दी है। तीन सप्ताह हुए स्पेश्लिस्ट ने कुछ टैस्ट करने के बाद उसे दिलासा दिया था कि उसके कैंसर की अभी शुरुआत ही हुई है, जिसका इलाज बिन ऑपरेशन के हो जाएगा।

लेकिन यह क्या? उसकी चिठ्ठी के साथ एक और पन्ना चिपका हुआ था जो किसी और के नाम था। लगता था किसी ने ग़लती से  दोनों की अपॉइंटमेंट एक ही लिफ़ाफ़े में डाल कर पोस्ट कर दी थी। राजी को वो नाम जाना-पहचाना लगा सो उससे पढ़े बिन रहा न गया। यह पूनम  के नाम थी जो उन्हीं के मंदिर में रविवार के रविवार आती है। उसमें लिखा था, “पिछले सप्ताह आपसे सलाह करने के बाद हम इस नतीजे पर पहुँचे हैं कि इन पिछले छः महिनों में आपके इलाज में कोई ख़ास फ़र्क़ न पड़ने की वज़ह से, अब हमें आपकी कीमोथैरेपी शुरू करनी पड़ेगी। सो आप शुक्रवार को यहाँ साढ़े दस पहुँच जाएँ।”

राजी यह पढ़ कर चौंक गई। क्योंकि कल रविवार ही को तो पूनम मंदिर में सभी से कैसे हँस-हँस कर मिल-जुल रही थी और साथ ही साथ दौड़-दौड़ कर अगले सप्ताह होने वाले नवरात्रों की तैयारी में जुटी हुई थी! उसके चेहरे से तो बिल्कुल भी दिखाई नहीं दे रहा था कि वो 6 महीने से कैंसर से पीड़ित है! किसी और ने भी तो कभी इसका ज़िक्र नहीं किया! इसका मतलब है पूनम ने अपनी बीमारी की भनक किसी को भी नहीं पड़ने दी?

यह सोच राजी को ख़ुद पर बहुत शर्मिन्दगी हुई। क्योंकि उसके डॉक्टर के मुताबिक़ उसके केस में हालाँकि ख़तरे वाली ऐसी कोई बात नहीं है, फिर भी उसने अपनी बीमारी को राई का पहाड़ बना दिया है। अपने परिवार वालों के साथ-साथ सभी आस-पड़ोस वालों और मंदिर में भी किसी को भी बताये बिना नहीं रह पाती। बेटा तो बहू-बच्चों के साथ बीस-पच्चीस मील दूर दूसरे शहर में रहता है। परन्तु मेरा रोना-धोना सुन कर हर शाम अपने काम के बाद पहले मुझसे मिलने आता है, फिर अपने घर जाता है। तलाक़शुदा बेटी अकेली अपने अपार्टमेन्ट में रह रही थी, उसे भी अपनी बीमारी की दुहाई देकर अपने साथ रहने पर मजबूर कर दिया।

लेकिन अब पूनम की हिम्मत और बहादुरी देख राजी ने भी निर्णय कर लिया कि वह आज से ख़ुदगर्ज़ी छोड़ कर किसी को भी परेशान नहीं करेगी।

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