पल-पल किया इंतज़ार 
सदियों से बीते क्षण-क्षण 
कर-कर इंतज़ार 
पतझड़ भी बीत गया।

 

आ गया सावन 
मन भावन 
तुम मिलो प्रिये...
इस तरह 
टूटे न मिलन का सिलसिला।

 

तेरे इंतज़ार में, 
बर्बाद हुआ योवन 
सपने, सपने बनकर रह गये 
हक़ीक़त से हुआ न सामना 
कितनी बीती बरसातें 
कोरी-कोरी रातें।

 

किया भरोसा 
टूटी न आशा 
पर तुम न समझे 
सम्बन्धों की परिभाषा 
सहकर हर उतार-चढ़ाव 
छलनी हो गया सीना 
मत पूछो मेरा जीना 
मर-मर कर जीना।

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