वैलेंटाइन पूछता

15-02-2025

वैलेंटाइन पूछता

डॉ. सत्यवान सौरभ (अंक: 271, फरवरी द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

वैलेंटाइन का चढ़ा, ये कैसा उन्माद। 
फ़ौजी मरता देश पर, कौन करे अब याद॥
 
सौरभ उनको भेंट हो, वैलेंटाइन आज। 
सरहद पर जो हैं मिटे, जिन पर हमको नाज़॥
 
काम करो इंग्लैंड में, रहें भला जापान। 
रखना सदा सहेजकर, दिल में हिंदुस्तान॥
 
 वैलेंटाइन पूछता, सबसे यही सवाल। 
याद किसे है देश में, भारत माँ के लाल॥
 
देकर अपनी जान जो, दिला गए हैं ताज। 
उन वीरों के ख़ून को, याद करे सब आज॥
 
लाज तिरंगें की रहे, रख इतना अरमान। 
मरते दम तक हम रखें, दिल में हिन्दुस्तान॥
 
सरहद पर जांबाज़ जब, जागे सारी रात। 
सो पाते हम चैन से, रह अपनों के साथ॥

आओ मेरे साथियों, कर लें उनका ध्यान। 
शान देश की जो बनें, देकर अपनी जान॥
 
भारत के हर पूत को, करिये प्रथम प्रणाम। 
सरहद पर जो है मिटा, हाथ तिरंगा थाम॥
 
सींच चमन ये साथियों, खिला गए जो फूल। 
उन वीरों के ख़ून को, मत जाना तुम भूल॥

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
ऐतिहासिक
दोहे
सांस्कृतिक आलेख
ललित निबन्ध
सामाजिक आलेख
लघुकथा
किशोर साहित्य कविता
काम की बात
साहित्यिक आलेख
पर्यटन
चिन्तन
स्वास्थ्य
सिनेमा चर्चा
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में

लेखक की पुस्तकें