करिये नव उत्कर्ष

15-01-2025

करिये नव उत्कर्ष

डॉ. सत्यवान सौरभ (अंक: 269, जनवरी द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

मिटें सभी की दूरियाँ, रहे न अब तकरार। 
नया साल जोड़े रहें, सभी दिलों के तार॥
 
बाँट रहे शुभकामना, मंगल हो नववर्ष। 
आनंद उत्कर्ष बढ़े, हर चेहरे हो हर्ष॥
 
माफ़ करो ग़लती सभी, रहे न मन पर धूल। 
महक उठे सारी दिशा, खिले प्रेम के फूल॥
 
गर्वित होकर ज़िन्दगी, लिखे अमर अभिलेख। 
सौरभ ऐसी खींचिए, सुंदर जीवन रेख॥
 
छोटी सी है ज़िन्दगी, बैर भुलाये मीत। 
नई भोर का स्वागतम, प्रेम बढ़ाये प्रीत॥
 
माहौल हो सुख चैन का, ख़ुश रहे परिवार। 
सुभग बधाई मान्यवर, मेरी हो स्वीकार॥
 
खोल दीजिये राज सब, करिये नव उत्कर्ष। 
चेतन अवचेतन खिले, सौरभ इस नववर्ष॥
 
आते जाते साल है, करना नहीं मलाल। 
सौरभ एक दुआ करे, रहे सभी ख़ुशहाल॥
 
हँसी-ख़ुशी, सुख-शांति हो, ख़ुशियाँ हो जीवंत। 
मन की सूखी डाल पर, खिले सौरभ बसंत॥

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