एक-नेक हरियाणवी
डॉ. सत्यवान सौरभधर्म-कर्म का पालना, गीता का उपदेश।
सच में हरि का वास है, हरियाणा परदेश॥
अमन-चैन की ये धरा, है वेदों का ज्ञान।
भूमि है ये वीर की, रखें देश की आन॥
हट्टे-कट्टे लोग हैं, अलग-अलग है भेष,
पर हरियाणा एक है, न कोई राग द्वेष॥
कुरुक्षेत्र की ये धरा, करें कर्म निर्वाह।
पानीपत मैदान है, ऐतिहासिक गवाह॥
चप्पे-चप्पे हैं यहाँ, बलिदानी उपदेश,
आंदोलन का गढ़ यही, जिससे भारत देश॥
मर्द युद्धों को पलटते, पदक जीतती बीर।
एक-नेक हरियाणवी, सिखलाते हैं धीर॥
मेल-जोल त्योहार में, गीतों का परिवेश,
मानवता का पालना, गाये प्रेम सन्देश॥
माथे इसके सरस्वती, कहते वेद विशेष।
सच में हरि का वास है, हरियाणा परदेश॥
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