एक-नेक हरियाणवी

01-11-2022

एक-नेक हरियाणवी

डॉ. सत्यवान सौरभ (अंक: 216, नवम्बर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

धर्म-कर्म का पालना, गीता का उपदेश।
सच में हरि का वास है, हरियाणा परदेश॥
 
अमन-चैन की ये धरा, है वेदों का ज्ञान।
भूमि है ये वीर की, रखें देश की आन॥
 
हट्टे-कट्टे लोग हैं, अलग-अलग है भेष,
पर हरियाणा एक है, न कोई राग द्वेष॥
 
कुरुक्षेत्र की ये धरा, करें कर्म निर्वाह।
पानीपत मैदान है, ऐतिहासिक गवाह॥
 
चप्पे-चप्पे हैं यहाँ, बलिदानी उपदेश,
आंदोलन का गढ़ यही, जिससे भारत देश॥
 
मर्द युद्धों को पलटते, पदक जीतती बीर।
एक-नेक हरियाणवी, सिखलाते हैं धीर॥
 
मेल-जोल त्योहार में, गीतों का परिवेश,
मानवता का पालना, गाये प्रेम सन्देश॥ 
 
माथे इसके सरस्वती, कहते वेद विशेष।
सच में हरि का वास है, हरियाणा परदेश॥

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

सामाजिक आलेख
साहित्यिक आलेख
दोहे
सांस्कृतिक आलेख
ललित निबन्ध
पर्यटन
चिन्तन
स्वास्थ्य
सिनेमा चर्चा
ऐतिहासिक
कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में