हमारी बोलचाल, प्यार, उलाहनों और कहावतों में सदियों से रचे बसे है श्रीराम

15-01-2024

हमारी बोलचाल, प्यार, उलाहनों और कहावतों में सदियों से रचे बसे है श्रीराम

डॉ. सत्यवान सौरभ (अंक: 245, जनवरी द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

“राम नाम है हर जगह, राम जाप चहुँओर। 
चाहे जाकर देख लो, नभ तल के हर छोर॥” 

श्रीराम हमारे मन में बसे, श्रीराम हमारी संस्कृति है, हमारी बोलचाल, प्यार, उलाहनों और कहावतों में सदियों से रचे बसे है श्रीराम। 

रामनगरी अयोध्या में 22 जनवरी 2024 रामकथा का नया अध्याय है, यह 493 वर्ष तक चली संघर्ष-कथा का अपना ‘उत्तरकांड’ है। अपनी माटी, अपने ही आँगन में ठीहा पाने को रामलला पाँच सदी तक प्रतीक्षा करते रहे तो रामभक्तों की ‘अग्निपरीक्षा‘ भी अब पूरी हुई। आधुनिक भारत का राममंदिर सत्य, अहिंसा और न्यायप्रिय भारत की अनुपम भेंट है। यह सर्वसत्य है कि यह मंदिर तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक बनेगा। ये शाश्वत मंदिर आस्था और राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा। वास्तव में हमें जब भी कोई काम करना हो तो हम भगवान राम की ओर देखते हैं। भगवान राम की जय बोलते हैं। राम हमारे मन में बसे हैं। राम हमारी संस्कृति के आधार हैं। 

— डॉ. सत्यवान सौरभ 

‘राम-राम जी’। हरियाणा में किसी राह चलते अनजान को भी ये ‘देसी नमस्ते’ करने का चलन है। यह दिखाता है कि गीता और महाभारत की धरती माने जाने वाले हरियाणा के जनमानस में श्रीकृष्ण से ज़्यादा श्रीराम रचे-बसे हैं। हरियाणवियों में रामफल, रामभज, रामप्यारी, रामभतेरी जैसे कितने ही नाम सुनने को मिल जाएँगे। रामनगरी अयोध्या में 22 जनवरी 2024 रामकथा का नया अध्याय है, यह 493 वर्ष तक चली संघर्ष-कथा का अपना ‘उत्तरकांड’ है। अपनी माटी, अपने ही आँगन में ठीहा पाने को रामलला पाँच सदी तक प्रतीक्षा करते रहे तो रामभक्तों की ‘अग्निपरीक्षा’ भी अब पूरी हुई। 

हरियाणा के कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफ़ेसर डॉ हिम्मत सिंह के अनुसार हरियाणा के आम जनमानस में बरसात होने पर ‘रामजी खूब बरस्या’ या बरसात न होने पर ‘रामजी बरस्या कोनी’ का उलाहना सुनने को मिलेगा। किसी से अच्छा प्यार-पहचान जताने के लिए ‘उस गेल्यो बढ़िया राम-राम’ है या अनजानापन जताने के लिए ‘उसतै तो मेरी राम-राम बी कौना’, कहावत का इस्तेमाल करते हैं। यहाँ सांग में राम के प्रसंग जुड़े हैं तो भजनों में भी राम का ज़िक्र मिलता है। ‘लाड्डू राम नाम का खाले नै हो ज्यागा कल्याण’ . . . या ‘मनै इब कै पिलशन मिल जा मैं तो ल्याऊ राम की माला’ . . . जैसे हरियाणवी भजन हिट रहे हैं। किसी को सांत्वना देने के लिए ‘राम भली करैगा या आंधे की माक्खी राम उड़ावै’ जैसी कहावतें हैं। 

रामायण पर चार पीएचडी करवा चुके 90 वर्षीय डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा कहते हैं कि सन् 1999 तक हिंदी भाषी क्षेत्रों में राम व रामायण पर 150 से ज़्यादा शोध थे। अब इनकी संख्या 250 से ज़्यादा होगी। ग़ैर हिंदी प्रदेशों में भी काफ़ी शोध हुए हैं। हरियाणा व हिंदी भाषी क्षेत्र में राम के लोकजीवन में रचने बसने का श्रेय कई संतों व कवियों और आर्य समाज को जाता है। कबीर को निम्न जाति का मानते हुए उस काल में मंदिरों में नहीं जाने देते थे। तब कबीर ने राम को निर्गुण मानते हुए प्रचार किया। 

पहले आदि कवि वाल्मीकि, संत रविदास, नामदेव ने निर्गुण रूप का प्रचार किया। हरियाणा में आर्य समाज का काफ़ी प्रभाव रहा है और आर्य समाज ने राम को आदर्श पुरुष माना है। प्रदेश में कबीरपंथ का प्रचार करने के लिए डेरे भी हैं। कबीर के दोहों में ‘रा’ को छत्र और ‘म’ को माथे की बिंदी माना है। यानी सभी को रक्षा व सम्मान का प्रतीक माना है। हरियाणा के पुराने सांगों में राम के प्रसंगों का ख़ूब ज़िक्र होता रहा है, इस वजह भी पीढ़ी दर पीढ़ी राम की असर जनमानस है, जबकि कुरुक्षेत्र जैसी धर्मनगरी समेत प्रदेश में कहीं भी श्रीराम के प्राचीन मंदिर नहीं हैं। रामराज्य की कल्पना में ही नैतिक मूल्य व राजनीतिक दर्शन है। राजनीति में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाली ‘आया राम-गया राम’ की कहावत भी हरियाणवी राजनीति से निकली है। जब 1967 में एक विधायक ने एक ही दिन में 3 बार में दल-बदल किया था। 

हरियाणा के गाँव मुंदडी में लव-कुश ने रामायण कंठस्थ की थी और सीवन गाँव में माता सीता समाई थी। कैथल दडी में भगवान राम व सीता के पुत्रों लव-कुश ने महर्षि वाल्मीकि से इसी तीर्थ पर रामायण को कंठस्थ कर दिया था, जिसके बाद महर्षि वाल्मीकि ने मौन धारण कर लिया था। इससे ही गाँव का नाम मुंदडी हो गया। इस तीर्थ पर शिव, हनुमान व लव-कुश के मंदिर हैं। मंदिर के गर्भगृह की भित्तियों पर राम, लक्ष्मण को कंधे पर बैठाए हुए हनुमान, गोपियों के साथ कृष्ण, रासलीला व गणेश इत्यादि के चित्र बने हुए हैं। नारद पुराण के अनुसार चैत्र मास की चतुर्दशी को इस तीर्थ में स्नान करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

मंदिर के सरोवर की खुदाई से कुषाणकाल (प्रथम-द्वितीय शती ई.) से लेकर मध्यकाल 9-10वी शती ई. के मृदपात्र एवं अन्य पुरावशेष मिले थे। जिससे इस तीर्थ की प्राचीनता सिद्ध होती है। यहाँ महर्षि वाल्मीकि संस्कृत यूनिवर्सिटी भी बनाई जा रही है। 

वहीं, कैथल के गाँव सीवन या शीतवन को जनमानस जनकनंदिनी सीता जी से संबंधित मानती है। प्रचलित विश्वास के अनुसार सीता इसी स्थान पर धरती में समा गई थीं। इसीलिए इस तीर्थ को स्वर्गद्वार के नाम से भी जाना जाता है। इस तीर्थ का उल्लेख महाभारत एवं वामन पुराण के अतिरिक्त पद्म पुराण, ब्रह्म पुराण, कूर्म पुराण, नारद पुराण तथा अग्नि पुराण में भी पाया जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि यही शीतवन अपभ्रंश हो कर परवर्ती काल में सीतवन के नाम से विख्यात हो गया। वामन पुराण में इस तीर्थ को मातृतीर्थ के पश्चात् रखा गया है। 

राममंदिर आंदोलन के पलों को हरियाणावासी कभी भूल नहीं सकते, जब गाँव-गाँव राममंदिर के लिए रामशिलाएँ आई और देश के असंख्य लोग कारसेवा के लिए अवधपुरी की तरफ़ कूच कर गए थे। आधुनिक भारत का राममंदिर सत्य, अहिंसा और न्यायप्रिय भारत की अनुपम भेंट है। यह सर्वसत्य है कि यह मंदिर तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक बनेगा। ये शाश्वत मंदिर आस्था और राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा। वास्तव में हमें जब भी कोई काम करना हो तो हम भगवान राम की ओर देखते हैं। भगवान राम की जय बोलते हैं। राम हमारे मन में बसे हैं। राम हमारी संस्कृति के आधार हैं। 

आओ मेरे राम
 
राम भक्त की धार हैं, राम जगत आधार। 
राम नाम से ही सदा, होती जय जयकार॥
 
जगह-जगह पर इस धरा, है दर्शनीय धाम। 
बसे सभी में एक से, है अपने श्री राम॥
 
राम सदा से सत्व है, राम समय का तत्त्व। 
राम आदि है अन्त हैं, राम सकल समत्व॥
 
राम-राम सबसे रखो, यदि चाहो आराम 
पड़ जायेगा कब पता, सौरभ किससे काम॥
 
राम नाम से मैं करूँ, मित्रों तुम्हें प्रणाम। 
जीवन खुशमय आपका, सदा करे श्रीराम॥
 
राम-राम मुख बोल है, संकटमोचन नाम। 
ध्यान धरे जो राम का, बनते बिगड़े काम॥
 
रोम रोम में है बसे, सौरभ मेरे राम। 
भजती रहती है सदा, जिह्वा आठों याम॥
 
उसका ये संसार है, और यहाँ है कौन। 
राम करे सो ठीक है, सौरभ साधे मौन॥
 
हर क्षण सुमिरे राम को, हों दर्शन अविराम। 
राम नाम सुखमूल है, सकल लोक अभिराम॥
 
राम नाम है हर जगह, राम जाप चहुँ ओर। 
चाहे जाकर देख लो, नभ तल के हर छोर॥
 
नगर अयोध्या, हर जगह, त्रेता की झंकार। 
राम राज्य का ख़्वाब जो, आज हुआ साकार॥
 
रखो लाज संसार की, आओ मेरे राम। 
मिटे शोक मद मोह सब, जगत बने सुखधाम॥
 
मानव के अधिकार सब, होने लगे बहाल। 
राम राज्य के दौर में, रहते सभी निहाल॥
 
रामराज्य की कल्पना, होगी तब साकार। 
धर्म कर्म सच श्रम बने, उन्नति के आधार॥
 
राम नाम के जाप से, मिटते सारे पाप। 
राम नाम ही सत्य है, सौरभ समझो आप॥
 
मद में डूबे जो कभी, भूले अपने राम। 
रावण-सा होता सदा, उनका है अंजाम॥

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