उम्र का एहसास

01-06-2025

उम्र का एहसास

डॉ. सत्यवान सौरभ (अंक: 278, जून प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

दिल का क्या है, उम्र से बँधा नहीं, 
ये तो बस धड़कता है, हर पल, हर कहीं। 
चालीस का आँकड़ा बस गिनती है सालों की, 
मगर दिल की धड़कनें तो हमेशा ही जवान रहीं। 
 
प्यार की प्यास तो आत्मा की पुकार है, 
न उम्र की सीमा, न वक़्त की दरकार है। 
चमकती आँखें, खिलती मुस्कानें, 
हर उम्र में बस प्यार की ही बातें। 
 
सफ़ेद बालों में भी जवानी की एक छाँव है, 
झुर्रियों में बसी अनकही कहानियों का घाव है। 
दिल तो हमेशा प्रेम का प्यासा है, 
चालीस क्या, सौ के बाद भी मचलता है। 
 
बदलती काया, पर एहसास वही, 
दिल की दुनिया में न बूढ़ा कोई। 
हर धड़कन गाती प्रेम की रागिनी, 
ये प्रेम का बंधन ही है असली वादिनी। 
 
कभी ख़ामोशी में तो कभी हँसी में बहकता है, 
दिल तो बस दिल है, हर उम्र में धड़कता है। 

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