हरियाली तीज
डॉ. सत्यवान सौरभ
सावन में है तीज का, एक अलग उल्लास।
प्रेम रंग में भीग कर, कहती जीवन ख़ास॥
जैसे सावन में सदा, होती ख़ूब बहार।
ऐसे ही हर घर सदा, मने तीज त्योहार॥
हाथों में मेहँदी रची, महक रहा है प्यार।
चूड़ी, पायल, करधनी, गोरी के शृंगार॥
उत्सव, पर्व, समारोह है, ये हरियाली तीज।
आती है हर साल ये, बोने ख़ुशियाँ बीज॥
अगर हमीं बोते रहे, राग-द्वेष के बीज।
होंगे फीके प्रेम बिन, सावन हो या तीज॥
बोए मिलकर हम सभी, अगर प्रेम के बीज।
रहे न चिन्ता दुख कभी, हर दिन होगी तीज॥
प्यार-प्रेम सिंचित करें, हृदय यूँ दे बीज।
हरी-भरी हो ज़िन्दगी, तभी सफल हो तीज॥
भावहीन अब हो रहे, सभी तीज त्योहार।
लगे प्यार के बीज यदि, मिटे दिलों की रार॥
सावन झूले हैं कहाँ, और कहाँ है तीज।
मन में भरे क्लेश के, सबके काले बीज॥
मन को ऐसे रंग लें, भर दें ऐसा प्यार।
हर पल हर दिन ही रहे, सावन का त्योहार॥
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- दोहे
-
- अँधियारे उर में भरे, मन में हुए कलेश!!
- आशाओं के रंग
- उड़े तिरंगा बीच नभ
- एक-नेक हरियाणवी
- कायर, धोखेबाज़ जने, जने नहीं क्यों बोस!!
- क्यों नारी बेचैन
- गुरुवर जलते दीप से
- चलते चीते चाल
- टूट रहे परिवार!
- दादी का संदूक!
- देख दुखी हैं कृष्ण
- दो-दो हिन्दुस्तान
- पिता नीम का पेड़!
- फीका-फीका फाग
- बन सौरभ तू बुद्ध
- बैठे अपने दूर
- मंगल हो नववर्ष
- रोम-रोम में है बसे, सौरभ मेरे राम
- सहमा-सहमा आज
- हर दिन करवा चौथ
- हर दिन होगी तीज
- हरियाली तीज
- हिंदी हृदय गान है
- साहित्यिक आलेख
- सामाजिक आलेख
-
- अगर जीतना स्वयं को, बन सौरभ तू बुद्ध!!
- घर पर मिली भावनात्मक और नैतिक शिक्षा बच्चों के जीवन का आधार है
- टेलीविज़न और सिनेमा के साथ जुड़े राष्ट्रीय हित
- तपती धरती, संकट में अस्तित्व
- दादा-दादी की भव्यता को शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता है
- नए साल के सपने जो भारत को सोने न दें
- रामायण सनातन संस्कृति की आधारशिला
- समय की रेत पर छाप छोड़ती युवा लेखिका—प्रियंका सौरभ
- समाज के उत्थान और सुधार में स्कूल और धार्मिक संस्थान
- सूना-सूना लग रहा, बिन पेड़ों के गाँव
- सोशल मीडिया पर स्क्रॉल होती ज़िन्दगी
- सांस्कृतिक आलेख
- ललित निबन्ध
- पर्यटन
- चिन्तन
- स्वास्थ्य
- सिनेमा चर्चा
- ऐतिहासिक
- कविता
- विडियो
-
- ऑडियो
-