हे भारत की कोकिला . . . 

15-02-2022

हे भारत की कोकिला . . . 

डॉ. सत्यवान सौरभ (अंक: 199, फरवरी द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

 सूने-सूने गीत अब, 
 सूने-सूने साज़! 
 संग लता के खो गयी, 
 भारत की आवाज़!! 
 
 आँखों में पानी भरा, 
 पूरा देश उदास! 
 गयी हमें तुम छोड़कर, 
 गए नहीं अहसास!! 
 
 स्वर आपकी शान थे, 
 स्वर आपकी आन! 
 स्वर आपने जो चुने, 
 स्वर बने पहचान!! 
 
 गूँज रही है आपकी, 
 कण-कण में आवाज़! 
 हे भारत की कोकिला, 
 हमको तुम पर नाज़!! 
 
 नहीं नाम ये अब गुमे, 
 अक़्स रहेगा याद! 
 गूँजेंगे जब सुर यहाँ, 
 होगा तेरा नाद!! 

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