दूधवाला

डॉ. सत्यवान सौरभ (अंक: 288, नवम्बर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 
घर-घर आता सुबह शाम, 
ड्रम दूध के हाथों में थाम। 
 
दरवाज़े पर आवाज़ लगाता, 
संग में लस्सी भी लाता। 
 
सुबह-सुबह जल्दी है उठता, 
उठकर दूध इकट्ठा करता। 
 
साफ़-सफ़ाई रखता पूरी, 
तोल न करता कभी अधूरी। 
 
मिलावट से है कतराता, 
दूध हमेशा शुद्ध ही लाता। 
 
आँधी, वर्षा, सर्दी, गर्मी, 
भूल सदा समय पर आता।
  
सही समय पर आता दर पर, 
चाय बने तभी तो घर पर। 
 
सबको भाता ये मतवाला, 
नाम है इसका दूधवाला। 

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