शुभ दीवाली

01-11-2025

शुभ दीवाली

डॉ. सत्यवान सौरभ (अंक: 287, नवम्बर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

शुभ दीवाली आ गई, झूम रहा संसार। 
माँ लक्ष्मी का आगमन, सजे सभी घर द्वार॥
 
सुख वैभव सबको मिले, मिले प्यार उपहार। 
सच में सौरभ हो तभी, दीवाली त्योहार॥
 
दीवाली का पर्व ये, हो सौरभ तब ख़ास। 
आ जाए जब झोंपड़ी, महलों को भी रास॥
 
जिनके स्वच्छ विचार हैं, रखे प्रेम व्यवहार। 
उनके सौरभ रोज़ ही, दीवाली त्योहार॥
 
दीवाली उनकी मने, होय सुखी परिवार। 
दीप बेच रोशन करे, सौरभ जो घर द्वार॥
 
मैंने उनको भेंट की, दीवाली और ईद। 
जान देश के नाम कर, जो हो गए शहीद॥
 
फीके-फीके हो गए, त्योहारों के रंग। 
दीप दिवाली के बुझे, होली है बेरंग॥
 
नेह भरे मोती नहीं, ख़ाली मन का सीप। 
सूख गई हैं बातियाँ, जलता कैसे दीप॥
 
बाती रूठी दीप से, हो कैसे प्रकाश। 
बैठा मन को बाँधकर, अँधियारे का पाश॥

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