प्यारी चिड़िया रानी
डॉ. सत्यवान सौरभ
(बाल दिवस विशेष)
सुबह-सुबह नन्ही चिड़िया,
आँगन में जब आती है।
फुदक-फुदक कर चूँ-चूँ करती,
मीठे गीत रोज़ सुनाती है।
चिड़िया फुर्र फुर्र उड़ती है,
चोंच से दाने चुगती है।
बच्चों को है देती खाना,
सबसे पहले उठ जाती है।
छज्जा, खिड़की ढूंढ़ें आला,
कहाँ घोंसला जाए डाला।
तिनका थामे चिमटी चोंच में,
सपनों का नीड़ सजाती है।
उम्मीदों के पंख पसारकर,
नील गगन को उड़ पार कर।
जीवन की कठिनाई झेलती,
अपना हर धर्म निभाती है।
उठो सवेरे और करो श्रम,
प्रगति इसी से आती है।
बच्चों, प्यारी चिड़िया रानी,
हमको यह सिखलाती है।
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