प्यारी चिड़िया रानी

15-11-2024

प्यारी चिड़िया रानी

डॉ. सत्यवान सौरभ (अंक: 265, नवम्बर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

(बाल दिवस विशेष)
  
सुबह-सुबह नन्ही चिड़िया, 
आँगन में जब आती है। 
फुदक-फुदक कर चूँ-चूँ करती, 
मीठे गीत रोज़ सुनाती है। 
 
चिड़िया फुर्र फुर्र उड़ती है, 
चोंच से दाने चुगती है। 
बच्चों को है देती खाना, 
सबसे पहले उठ जाती है। 
 
छज्जा, खिड़की ढूंढ़ें आला, 
कहाँ घोंसला जाए डाला। 
तिनका थामे चिमटी चोंच में, 
सपनों का नीड़ सजाती है। 
 
उम्मीदों के पंख पसारकर, 
नील गगन को उड़ पार कर। 
जीवन की कठिनाई झेलती, 
अपना हर धर्म निभाती है। 
 
उठो सवेरे और करो श्रम, 
प्रगति इसी से आती है। 
बच्चों, प्यारी चिड़िया रानी, 
हमको यह सिखलाती है। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

दोहे
लघुकथा
किशोर साहित्य कविता
सामाजिक आलेख
काम की बात
साहित्यिक आलेख
सांस्कृतिक आलेख
ललित निबन्ध
पर्यटन
चिन्तन
स्वास्थ्य
सिनेमा चर्चा
ऐतिहासिक
कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में

लेखक की पुस्तकें