भलाई का दंश

15-11-2025

भलाई का दंश

डॉ. सत्यवान सौरभ (अंक: 288, नवम्बर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

धर्म पथ पर चलो तो सावधान रहना यार, 
दूध पिलाओगे साँपों को, डसेंगे बारंबार। 
 
सत्य की मशाल जलाओगे, आँधियाँ उठेंगी, 
नेकी का साथ दोगे तो नज़रें बदलेंगी। 
 
भलाई का फल तुरंत नहीं, देर से आता है, 
पर झूठ का पेड़ जल्दी ही मुरझाता है। 
 
जो मुस्कराएँ संग तुम्हारे, वही वार करेंगे, 
जो आँसू पोंछने आएँ, ज़हर उधार देंगे। 
 
सच बोलना आसान नहीं, ये तप की राह है, 
हर शब्द पे जग झूठा, बस यही आह है। 
 
धर्म का दीप जो जलता है तूफ़ानों में, 
वो बुझ नहीं सकता, रहता है ईमानों में। 
 
कई बार अपनी ही छाया भी डराती है, 
जब सत्य की तलवार नीयत पर चल जाती है। 
 
धोखे की मंडी में सच्चाई बिकती नहीं, 
दिल से जो निकली, वो दुआ रुकती नहीं। 
 
समय साक्षी है, कर्मों का हिसाब होगा, 
साँप भी थकेंगे, पर धर्म का जवाब होगा। 
 
जो दर्द देंगे वही एक दिन नतमस्तक होंगे, 
सत्य के सूरज के आगे सब झुकेंगे। 
 
तो चलो उस राह जहाँ दिल सच्चा रहे, 
भले ज़हर मिले, पर मन अच्छा रहे। 

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