एक थका हुआ सच

एक थका हुआ सच  (रचनाकार - देवी नागरानी)

(अनुवादक: देवी नागरानी )
अजनबी औरत 

आईने में अजनबी औरत क्या सोचती है 
मैंने पूछा ‘बात क्या है?’ 
वह मुझसे छिपती रही 
मैं लबों पर लाली लगाती हूँ तो वह सिसकती है 
अगर उससे नैन मिलाऊँ तो 
न जाने क्या-क्या पूछती है 
घर, बाल-बच्चे, पति सभी ख़ुशियाँ मेरे पास 
और उसे न जाने क्या चाहिये? 

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