एक थका हुआ सच

एक थका हुआ सच  (रचनाकार - देवी नागरानी)

(अनुवादक: देवी नागरानी )
मुहब्बतों के फ़ासले 

मैं हाथ में हाथ देकर 

जीवन में तुम्हारे साथ चलना चाहती हूँ 

और तुम! 

नाक में नकेल डालकर 

मुझे घसीटना चाहते हो 

मैं प्रेम के नशे में मदहोश 

अपने आपको तुम्हें अर्पण करना चाहती हूँ 

और तुम! 

ख़ुदा बनकर मुझे तोड़ना और जोड़ना चाहते हो 

मैं प्रीत पायल छनकाकर 

तुम्हारे मन-आँगन में अमर नाच नाचना चाहती हूँ 

और तुम! 

मेरी मजबूरियों का राग आलापकर 

ज़रूरतों की डफ़ली पर 

कठपुतली के समान नचाना चाहते हो 

मैं ख़ुशबू बनकर तुम्हारे तन में समाना चाहती हूँ 

और तुम! 

मुझे जेब में डालकर चलना चाहते हो 

तुम्हारे मेरे बीच के फ़ासलों पर 

मैं रोना चाहती हूँ 

और तुम! 

चुटकी बजाकर मुझे हँसाना चाहते हो! 

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