शीलहरण की कहे कथाएँ

01-03-2025

शीलहरण की कहे कथाएँ

प्रियंका सौरभ (अंक: 272, मार्च प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

महाभारत हो रहा फिर से अविराम। 
आओ मेरे कृष्णा, आओ मेरे श्याम॥
 
शकुनि चालें चल रहा है, 
पाण्डुपुत्रों को छल रहा है। 
अधर्म की बढ़ती ज्वाला में, 
संसार सारा जल रहा है॥
 
बुझा डालो जो आग लगी है, 
प्रेम-धारा बरसाओ मेरे श्याम॥
 
शासक आज बने शैतान, 
मूक, विवश है संविधान। 
झूठ तिलक करवा रहा, 
ख़तरे में है सच की जान॥
 
गूँज उठे फिर आदर्शी स्वर, 
मोहक बाँसुरी बजाओ मेरे श्याम॥
 
दुःशासन की क्रूर निगाहें, 
भरती हर पल कामुक आहें॥
क़दम-क़दम पर खड़े लुटेरे, 
शीलहरण की कहे कथाएँ॥
 
खोए न लाज कोई पांचाली, 
आकर चीर बढ़ाओ मेरे श्याम॥
 
आग लगी नंदन वन में, 
रुदन हो रहा वृंदावन में। 
नित जन्मते रावण-कंस, 
बढ़ रहा पाप भुवन में॥
 
मिटे अनीति, अधर्म, अंधकार सारे, 
आकर आशादीप जलाओ मेरे श्याम॥

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