मत करिये उपहास

15-12-2022

मत करिये उपहास

प्रियंका सौरभ (अंक: 219, दिसंबर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

(प्रियंका सौरभ के काव्य संग्रह 'दीमक लगे गुलाब' से) 
 
अपना बोया ही मिले, 
या काँटें या घास। 
बे-मतलब ना बोलिये, 
मत करिये उपहास। 
 
मत करिये उपहास, 
किसी का जान-बूझकर। 
निकले हर इक शब्द, 
अंतर्मन से पूछकर॥
 
सुन ‘सौरभ’ की बात, 
किसी पर न तंज़ कसना। 
औरों-सा ख़ुद मान, 
ले हर इक बने अपना॥
 
पाकर तुमको है मिली, 
मुझको ख़ुशी अपार। 
होती है क्या ज़िन्दगी, 
देखा रूप साकार। 
 
देखा रूप साकार, 
देखूँ क्या अब मैं अन्य। 
तेरा सुन्दर रूप, ‘परी ’, 
पाकर हुई धन्य॥
 
सुन ‘सौरभ’ की बात, 
मिले क्या मन्दिर जाकर। 
मुझको तो है सब मिला, 
साथ तुम्हारा पाकर॥

1 टिप्पणियाँ

  • 15 Dec, 2022 06:43 PM

    बहुत सुन्दर सोच !

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

सांस्कृतिक आलेख
सामाजिक आलेख
ऐतिहासिक
काम की बात
कार्यक्रम रिपोर्ट
दोहे
चिन्तन
कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में