फागुन में यूँ प्यार से . . .
प्रियंका सौरभ
होली के त्योहार में, ऐसी उठे तरंग।
तन-मन में जो प्यार की, भर दे ख़ूब उमंग॥
आँगन-आँगन रंग हो, हो रँगीला फाग।
बैर-भाव को छोड़कर, मिलें सभी के राग॥
झूम उठे उल्लास से, क्या बूढ़े क्या बाल।
उड़े ख़ूब इस फाग में, सौरभ रंग गुलाल॥
सड़क-गली हर चौक पर, मचे फाग की धूम।
रार बैर की छोड़कर, राग प्रीत ले चूम॥
होली के त्योहार में, इतनी तो हो बात।
सबके गालों को मिले, रंगों की सौगात॥
आते होली फाग यूँ, देते हैं सन्देश।
प्रेम परस्पर दे सदा, मिटे हृदय से क्लेश॥
फागुन में यूँ प्यार से, गा होली के गीत।
पुष्प खिले बस चाह के, होकर के मनमीत॥
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